गर्मी सर्दी और बरसात ये मौसम प्राकतिक है इन्हे बदलना किसी के भी हाथ में नहीं होता है मौसम प्रकति के हिसाब से बदलते है और आपने साथ कई प्रकार की बदलाव लाते है बात अगर गर्मी की की जाये तो गर्मी में लोगो को बहुत परेशानी होती है मई के महीने में गर्मी बहुत होती है सूरज अपनी प्रखर किरणों की तीव्रता से संसार के जलियांश को सुखा कर वायु में रूखापन और ताप बढ़ा कर मनुष्यों के शरीर के ताप की भी वृद्धि कर रहा है. गर्मी के कारण लोगो को बहुत परेशानी होती है गर्मी में बीमारिया बहुत होती है लोग बहुत बीमार होते है.
गर्मी से होने वाली बीमारियाँ
गर्मी में लापरवाही के कारण शरीर में निर्जलीकरण (Dehydration), लू लगना, चक्कर आना ,घबराहट होना ,नकसीर आना, उलटी-दस्त, Sun-Burn घमोरिया जैसी कई बीमारिया होती है गर्मी में लोगो को पानी की कमी ज्यादा होती है जिससे लोगो को ये सारी परेशानी होती है.
गर्मी से बचने के उपाय - Garmi Se Kaise Bachen
बैसे अगर देखा जाएँ तो गर्मी से बचना कोई मुमकिन काम नहीं है क्योकि गर्मी तो सारी जगह होती है चाहे घर हो या बाजार हो या फिर कोई भी जगह हो लेकिन कुछ ध्यान रख कर काम किये जा सकते है जिससे गर्मी का हमला सीधा हम पर नहीं होता है जैसे बहार जाते समय चेहरे को कवर करके जाना भरपूर मात्रा में पानी पीना बहार का काम खाना ठंडी चीजों का सेवन करना दही खाना आदि इन कामो को करके आप गर्मी से बच सकते है.
गर्मी से होने वाली बीमारियों से बचाव के उपाय
गर्मी के दिनों में जब भी घर से निकले तो खाली पेट न निकले कुछ भी खा पीकर ही निकले और ज्यादा बासा भोजन नहीं करना चाहिए गर्मी में शरीर की जठराग्नि मंद रहती है जिस कारण खाना पूरी तरह पचा नहीं पाती जरुरत से ज्यादा खाने या भारी खाना खाने से उलटी-दस्त की शिकायत हो सकती है. घर से निकलते समय चेहरा और सर रुमाल या साफी से ढक कर निकलना चाहिए गर्मी में सूती और हलके रंग के कपडे पहनने चाहिये इन दिनों प्याज का सेवन करना चाहिए और आपने साथ भी प्याज रखना चाहिए इससे लू से बचाव होता है.
बाजार में मिलने वाली ठंडी चीजों को छोड़ कर घर पर बनी ठंडी चीजों का सेवन करना चाहिए जैसे आम (केरी) का पना, खस, चन्दन गुलाब फालसा संतरा का सरबत, ठंडाई सत्तू, दही की लस्सी, मट्ठा, गुलकंद का सेवन करना चाहिये. लोकी ,ककड़ी, खीरा, तोरे,पालक,पुदीना ,नीबू ,तरबूज आदि का सेवन अधिक करना चाहिये शीतल पानी का सेवन 2 से 3 लीटर रोजाना होन चाहिए और सीत्कारी, शीतली तथा चन्द्र भेदन प्राणायाम एवं शवासन का अभ्यास कीजिये ये शारीर में शीतलता का संचार करते हैं.
बाजार में मिलने वाली ठंडी चीजों को छोड़ कर घर पर बनी ठंडी चीजों का सेवन करना चाहिए जैसे आम (केरी) का पना, खस, चन्दन गुलाब फालसा संतरा का सरबत, ठंडाई सत्तू, दही की लस्सी, मट्ठा, गुलकंद का सेवन करना चाहिये. लोकी ,ककड़ी, खीरा, तोरे,पालक,पुदीना ,नीबू ,तरबूज आदि का सेवन अधिक करना चाहिये शीतल पानी का सेवन 2 से 3 लीटर रोजाना होन चाहिए और सीत्कारी, शीतली तथा चन्द्र भेदन प्राणायाम एवं शवासन का अभ्यास कीजिये ये शारीर में शीतलता का संचार करते हैं.
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